
बंग्लार जागरण न्यूज़ डेस्क, 1 अप्रैल 2025
हिंदू धर्म में सूर्य देव और छठी मैय्या की आराधना का पवित्र पर्व चैती छठ आज, मंगलवार 1 अप्रैल 2025 से शुरू हो गया है। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होने वाला यह लोक आस्था का महापर्व खासतौर पर बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में धूमधाम से मनाया जाता है। चार दिनों तक चलने वाला यह व्रत 4 अप्रैल 2025 को सुबह के अर्घ्य के साथ समाप्त होगा। आइए जानते हैं इस पर्व की तिथियां और विधि।

पहला दिन: नहाय खाय (1 अप्रैल 2025, मंगलवार)
चैती छठ का पहला दिन आज नहाय खाय के साथ शुरू हुआ। इस दिन व्रती पवित्र नदी या तालाब में स्नान कर अपने शरीर और मन को शुद्ध करते हैं। इसके बाद सात्विक भोजन ग्रहण किया जाता है, जो अगले तीन दिनों के कठिन व्रत की तैयारी के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
दूसरा दिन: खरना (2 अप्रैल 2025, बुधवार)
दूसरे दिन खरना मनाया जाएगा। इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखते हैं और शाम को सूर्य देव की पूजा के बाद गुड़ की खीर, रोटी और फल का प्रसाद ग्रहण करते हैं। इसके बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है।
तीसरा दिन: संध्या अर्घ्य (3 अप्रैल 2025, गुरुवार)
तीसरे दिन व्रती डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। यह अनुष्ठान किसी पवित्र नदी या तालाब के किनारे शाम के समय संपन्न होता है।
चौथा दिन: उषा अर्घ्य (4 अप्रैल 2025, शुक्रवार)
चैती छठ का समापन चौथे दिन सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ होगा। अर्घ्य के बाद व्रती प्रसाद बांटकर व्रत का पारण करते हैं।
चैती छठ पूजन मंत्र
व्रत के दौरान इन मंत्रों का जाप किया जाता है:
ॐ सूर्याय नम:, ॐ आदित्याय नम:, ॐ नमो भास्कराय नम:। अर्घ्य समर्पयामि॥
एहि सूर्य! सहस्त्रांशो! तेजो राशे! जगत्पते! अनुकम्प्यं मां भक्त्या गृहाणार्घ्य दिवाकर!
ऊँ नमो भगवते श्री सूर्याय क्षी तेजसे नम:। ऊँ खेचराय नम:।
यह पर्व भक्ति, श्रद्धा और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक है।
बंग्लार जागरण की ओर से सभी पाठकों को चैती छठ की शुभकामनाएं।
यह समाचार 4 अप्रैल 2025 तक प्रासंगिक रहेगा, जब चैती छठ पूजा का समापन होगा।